एक बार रियल एस्टेट की लेनदेन पूरी और संपत्ति आपके नाम पर रजिस्टर्ड होने के बाद सरकारी रिकॉर्ड्स में प्रॉपर्टी का म्यूटेशन कराना बहुत जरूरी है। म्यूटेशन का मतलब होता है कॉरपोरेशन के रिकॉर्ड्स में किसी संपत्ति का ट्रांसफर या नाम में बदलाव। क्या होता है प्रॉपर्टी म्यूटेशन और यह क्यों जरूरी है, प्रॉपगाइड आपको इसी के बारे में बताने जा रहा है:
साहिल शर्मा को प्रॉपर्टी म्यूटेशन का मतलब नहीं मालूम था। होम लोन, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन और स्टैंप ड्यूटी चुकाने के बाद उन्हें लगा कि प्रॉपर्टी ट्रांसफर से जुड़ी सभी औपचारिकताएं पूरी हो गई हैं। एक साल बाद उन्होंने अपने अॉफिस के साथियों को प्रॉपर्टी टैक्स के भुगतान के बारे में बात करते सुना और उन्हें याद आया कि उन्होंने इसे नहीं भरा है। उन्होंने एक दोस्त से पूछा कि इसे कब और कैसे भरना है। उस शख्स को पता था कि शर्मा ने हाल ही में एक अपार्टमेंट खरीदा है। उसने पूछा कि क्या उन्होंने प्रॉपर्टी म्यूटेशन करा लिया है। इस बारे में कुछ पता न होने के कारण साहिल शर्मा ने जवाब नहीं में दिया। इसके बाद उनके दोस्त ने उन्हें जल्द से जल्द प्रॉपर्टी म्यूटेशनकराने की सलाह दी, ताकि वह प्रॉपर्टी टैक्स भर सकें और उन पर किसी तरह की पेनाल्टी और ब्याज न लगे।
क्या होती है प्रॉपर्टी म्यूटेशन?
एक शहर का नगर निगम प्रॉपर्टी टैक्स की देयता को ठीक करने के लिए प्रॉपर्टी ओनरशिप ट्रांसफर्स का रिकॉर्ड रखता है और यही दस्तावेज इसे सुनिश्चित करने का जरिया है। प्रॉपर्टी म्यूटेशन से पता चलता है कि संपत्ति एक शख्स से दूसरे को ट्रांसफर कर दी गई है और यह प्रशासन को टैक्सपेयर्स की जिम्मेदारियां तय करने में भी मदद करता है। हालांकि यह कोई कानूनी दस्तावेज नहीं है, लेकिन अगर भविष्य में आप प्रॉपर्टी बेचते हैं तो यह काम आता है। हिंदी भाषा में प्रॉपर्टी म्यूटेशन को दाखिल-खरीज कहा जाता है।
प्रॉपर्टी म्यूटेशन के लिए कैसे अप्लाई करें और इसमें कितनी लागत आती है? दिल्ली या कोलकाता में इसके लिए किन दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है? ये सवाल आपके मन में भी घूम रहे होंगे तो बता दें कि विभिन्न राज्यों में मांगे जाने वाले दस्तावेज अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन पूरे भारत में इन तीन परिस्थितियों में ही आप प्रॉपर्टी म्यूटेशन फाइल कर सकते हैं:
अगर आपने प्रॉपर्टी खरीदी है: इस मामले में जो दस्तावेज आपको प्रॉपर्टी म्यूटेशन के लिए जमा कराने हैं, उनमें सेल डीड की कॉपी, प्रॉपर्टी म्यूटेशन की एप्लिकेशन, जिस पर 3 रुपये की कोर्ट फीस स्टैंप चिपकी हो, 100 रुपयेके स्टैंप पेपर पर एक हर्जाना बॉन्ड, 10 रुपये के स्टैंप पेपर पर एक एफिडेविट और लेटेस्ट प्रॉपर्टी टैक्स क्लीयरेंस पेपर्स।
मालिक के मरने पर प्रॉपर्टी का म्यूटेशन, अगर आप उत्तराधिकारी हैं तो: इस मामले में आवेदक को डेथ सर्टिफिकेट की कॉपी, वसीयत की कॉपी, 100 रुपये के स्टैंप पेपर पर हर्जाना बॉन्ड, 10 रुपये के स्टैंप पेपर पर एफिडेविट जो नोटरी से अटेस्टेड हो और लेटेस्ट प्रॉपर्टी टैक्स क्लीयरेंस पेपर्स।
अगर आपने पावर अॉफ अटॉर्नी के जरिए प्रॉपर्टी खरीदी है: इस मामले में आपको पावर अॉफ अटॉर्नी के कागजातों की कॉपी, वसीयत की कॉपी, 100 रुपये के स्टैंप पेपर पर हर्जाना बॉन्ड, 10 रुपये के स्टैंप पेपर पर एक एफिडेविट, लेटेस्ट प्रॉपर्टी टैक्स क्लीयरेंस पेपर्स और एक एप्लिकेशन, जिस पर 3 रुपये की कोर्ट फीस स्टैंप चिपकी हो।
बातें जो मालूम होनी जरूरी हैं:
*अगर आप प्रॉपर्टी का म्यूटेशन नहीं कराते हैं तो सिर्फ 25 रुपये की मामूली पेनाल्टी लगेगी और आपको जब सही लगे तब इसे करा सकते हैं। हालांकि अगर भविष्य में प्रॉपर्टी बेचते हैं तो खरीदार आपसे म्यूटेशन पेपर्स दिखाने को जरूर कहेगा। इन्हें न दिखाने पर संपत्ति बेचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
*कानूनी रूप से यह अनिवार्य नहीं है। प्रॉपर्टी म्यूटेशन मालिकाना हक टैक्स रिकॉर्ड का सबूत है।
*प्रॉपर्टी म्यूटेशन का चार्ज विभिन्न राज्यों में अलग-अलग है। ज्यादातर मामलों में यह पहले बताई गई सीमा के तहत ही आते हैं।
*प्रॉपर्टी म्यूटेशन वन टाइम ड्यूटी नहीं है। वक्त के साथ इसे अपडेट कराना जरूरी है। रेग्युलर अपडेट से आपका प्रॉपर्टी रिकॉर्ड साफ रहता है।
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